________________ छाया-तस्मिन् काले तस्मिन् समये ज्येष्ठोऽन्तेवासी इन्द्रभूतिर्यावदेवमवादीत्अहो भदन्त ? सुबाहुकुमार इष्ट इष्टरूपः कान्तः कान्तरूपः प्रियः प्रियरूपः मनोज्ञः मनोज्ञरूपः मनोमः मनोमरूपः सोमः सुभगः प्रियदर्शनः। बहुजनस्यापि च भदन्त ! सुबाहुकुमार इष्टो यावत् सुरूपः। साधुजनस्यापि च भदन्त ! सुबाहुकुमार इष्ट इष्टरूपः यावत् सुरूपः। सुबाहुना भदन्त ! कुमारेणेयमेतद्पा मानुषर्द्धिः केन लब्धा ? केन प्राप्ता ? केनाभिसमन्वागता? को वा एष आसीत् पूर्वभवे ? यावत् समन्वागता? * पदार्थ-तेणं कालेणं तेणं समएणं-उस काल और उस समय में। जेद्वे-ज्येष्ठ-प्रधान। अंतेवासी-शिष्य। इंदभूई-इन्द्रभूति। जाव-यावत्। एवं-इस प्रकार। वयासी-कहने लगे। अहो !अहो-आश्चर्य है। णं-वाक्यालंकार में है। भंते ! हे भगवन् ! सुबाहुकुमारे-सुबाहुकुमार। इ8-इष्ट। इट्ठरूवे-इष्टरूप। कन्ते-कान्त / कन्तरूवे-कान्तरूप। पिए-प्रिय। पियरूवे-प्रियरूप। मणुण्णे-मनोज्ञ / मणुण्णरूवे-मनोज्ञरूप। मणामे-मनोम। मणामरूवे-मनोमरूप। सोमे-सोम-सौम्य। सुभगे-सुभग। पियदंसणे-प्रियदर्शन, और। सुरूवे-सुरूप है। भंते!-हे भगवन् ! बहुजणस्स वि य णं-और बहुत से जनों को भी। सुबाहुकुमारे-सुबाहुकुमार। इढे जाव-इष्ट यावत्। सुरूवे-सुरूप है। भंते !-हे भगवन् ! साहुजणस्स वि य णं-साधुजनों को भी। सुबाहुकुमारे-सुबाहुकुमार। इ8-इष्ट। इट्ठरूवे-इष्टरूप। जाव-यावत्। सुरूवे-सुरूप है। सुबाहुणा-सुबाहु / कुमारेणं-कुमार ने। भंते !-हे भगवन् ! इमा-यह। एयारूवा-इस प्रकार की। उराला-उदार-प्रधान। माणुसरिद्धी-मानवी ऋद्धि। किण्णा-कैसे। लद्धा?उपलब्ध की ? किण्णा-कैसे। पत्ता ?-प्राप्त की ? और। किण्णा-कैसे। अभिसमण्णागया ?समुपस्थित हुई ? को वा-और कौन। एस-यह। पुव्वभवे-पूर्वभव में। आसि-था। जाव-यावत् / समन्नागया-मानव ऋद्धि समुपस्थित हुई। मूलार्थ-उस काल तथा उस समय भगवान् के ज्येष्ठ शिष्य इन्द्रभूति गौतम . अनगार यावत् इस प्रकार कहने लगे-अहो ! भगवन् ! सुबाहुकुमार बालक बड़ा ही इष्ट, इष्टरूप, कान्त, कान्तरूप, प्रिय, प्रियरूप, मनोज्ञ, मनोज्ञरूप, मनोम, मनोमरूप, सौम्य, सुभग, प्रियदर्शन और सुरूप-सुन्दर रूप वाला है। भगवन् ! यह सुबाहुकुमार साधुजनों को भी इष्ट, इष्टरूप यावत् सुरूप लगता है। भदन्त ! सुबाहुकुमार ने यह अपूर्व मानवी ऋद्धि कैसे उपलब्ध की ? कैसे प्राप्त की ? और कैसे उस के सम्मुख उपस्थित हुई ? और यह पूर्वभव में कौन था? यावत् समृद्धि जिस के सन्मुख उपस्थित हो रही है ? ____टीका-भगवान् के समवसरण-व्याख्यानसभा में अनेकानेक परमपूज्य साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविकाएं उपस्थित थीं। सुबाहुकुमार के वार्तालाप के समय भी उन में से अनेकों वहां विद्यमान होंगे। सुबाहुकुमार के सौम्य स्वभाव और आकर्षक मुद्रा को देख कर कौन जाने द्वितीय श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / प्रथम अध्याय [859