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________________ उद्योग एवं श्यामा का भयभीत होकर कोपभवन में जाकर आर्तध्यानमग्न होना आदि बातों का - वर्णन किया गया है। इस के पश्चात् क्या हुआ, अब सूत्रकार उस का वर्णन करते हैं मूल-तते णं सीहसेणे राया इमीसे कहाए लद्धढे समाणे जेणेव कोवघरे जेणेव सामा देवी तेणेव उवागच्छति उवागच्छित्ता सामं देविं ओहयमणसंकप्पं जाव पासति पासित्ता एवं वयासी-किंणं तुमं देवाणुप्पिए ! ओहयमणसंकप्पा जाव झियासि ? तते णं सा सामा देवी सीहसेणेण रण्णा एवं वुत्ता समाणा उप्फेणउप्फेणियं एव सीहरायं वयासी-एवं खलु सामी ! ममं एक्कूणगाणं पंचण्हं सवत्तीसयाणं एगूणगाइं पंचमाइसयाइं इमीसे कहाए लद्धट्ठाइं समाणाई अन्नमनं सद्दावेंति सद्दावित्ता एवं वयासी-एवं खलु सीहसेणे राया सामाए देवीए मुच्छिए 4 अहं धूयाओ नो आढाइ, नो परिजाणाइ, अणाढायमाणे अपरिजाणमाणे विहरइ, तं सेयं खलु अम्हं सामं देविं अग्गिप्पओगेण वा विसप्पओगेण वा सत्थप्पओगेण वा जीवियाओ ववरोवित्तए, एवं संपेहेंति संपेहित्ता ममं अन्तराणि य छिद्दाणि य विरहाणि य पडिजागरमाणीओ विहरन्ति, तं न नज्जइ णं सामी ! ममं केणइ कुमारेणं मारिस्संति त्ति कट्ट भीया 4 झियामि।ततेणं से सीहसेणे राया सामं देवि एवं वयासी-माणं तुमं देवाणुप्पिए! ओहतमणसंकप्पा जाव झियाहि, अहं णं तहा जत्तिहामि जहा णं तव नत्थि कत्तो वि सरीरस्स आवाहे वा पवाहे वा भविस्सति, त्ति कट्ट ताहिं इट्ठाहिं जाव समासासेति, ततो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति सद्दावित्ता एवं वयासी-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सुपइट्ठस्स नगरस्स बहिया एगं महं कूडागारसालं करेह अणेगखंभसयसंनिविटुं जाव पासाइयं 4 एयमढे पच्चप्पिणह। तते णं ते कोडुंबियपुरिसा करतल जाव पडिसुणेति पडिसुणित्ता सुपइट्ठियनगरस्स बहिया पच्चत्थिमे दिसिभागे एगं महं कूडागारसालं करेंति अणेगखंभसयसंनिविट्ठ जावपासाइयं 4 जेणेव सीहसेणे राया तेणेव उवागच्छन्ति उवागच्छित्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति। छाया-ततः स सिंहसेनो राजा, अनया कथया लब्धार्थः सन् यत्रैव कोपग्रह यत्रैव श्यामा देवी तत्रैवोपागच्छति उपागत्य श्यामादेवीमपहतमन:संकल्पां यावत् पश्यति प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / नवम अध्याय [695
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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