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________________ १मय है इक आग, न तन इस में जलाना हर्गिज़, मय है इक नाग, करीब इस के न जाना हर्गिज़। मय है इक दाम', न दिल इस में फंसाना हर्गिज, मय है इक ज़हर, न इस जहर को खाना हर्गिज़। भूल कर भी उसे तुम मुंह न लगाना हर्गिज़, भूत की तरह यह जिस सर पर चढ़ा करती है, ___रेहदफे तीरे "बला उसको किया करती है। ६खिरमने होशो "ख़िरद को यह फ़ना करती है, क्या बताऊं तुम्हें अहबाब यह क्या करती है ? कि बयां होगा न मुझ से यह फसाना हर्गिज़। DRINK NOT WINE NOR STRONG DRINK AND EAT NOT ANY UNCLEAN THING. (JUDGES 13-4) अर्थात् ईसाइयों के धर्मग्रन्थ इंजील में लिखा है कि शराब मत पिओ, न ही किसी अन्य मादक वस्तु का सेवन करो और न ही किसी अपवित्र वस्तु का भक्षण करो। ___पाश्चात्य लोगों ने भी मदिरासेवन का पूरा-पूरा विरोध किया है। एक पाश्चात्य विद्वान् का कहना है कि-Wine in and wit out-अर्थात् मदिरा के भीतर प्रवेश करते ही बुद्धि बाहर हो जाती है। - इस के अतिरिक्त इस बात पर विचार कर लेना आवश्यक प्रतीत होता है कि शराब पीना स्वाभाविक है या अस्वाभाविक ? यदि शराब पीना स्वाभाविक होता तो सभी प्राणी शराबी होते। शराब न पीने वाला एक भी प्राणी न मिलता। परन्तु ऐसी बात नहीं है। सारांश यह है कि जिस के बिना जीवन-निर्वाह न हो सके वही वस्तु स्वाभाविक कहलाती है। पानी के बिना कोई प्राणी जीवित नहीं रह सकता, अतः पानी जीवन के लिए स्वाभाविक है। क्या शराब के सम्बन्ध में यह बात कही जा सकती है ? नहीं, क्योंकि हम प्रत्यक्ष देखते हैं कि शराब के बिना आज करोड़ों आदमी जीवित रह रहे हैं। अत: यह निर्विवाद सिद्ध हो जाता है कि जिस तरह पानी का पीना मनुष्य के लिए स्वाभाविक होता है, वैसे मदिरापान नहीं होता, अर्थात् मदिरापान अस्वाभाविक है। शराब पीने वालों की जो शारीरिक, वाचनिक एवं मानसिक अवस्था होती है, वह सब के सामने ही है। उसकी यहां पुनरावृत्ति करने की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती। मदिरापान ... 1. शराब 2. जाल 3. निशाना 4. तीर का 5. आफत के 6. खलियान 7. अक्ल प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / अष्टम अध्याय [643
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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