________________ वेलासु चावेलासु च काले चाकाले च रात्रौ च विकाले च प्रविशन् अन्यदा कदाचित् पद्मावत्या देव्या सार्द्धमुदारान्० भुंजानो विहरति / इतश्च उदयनो राजा स्नातो यावद् विभूषितः यत्रैव च पद्मावती देवी तत्रैवोपागच्छति 2 बृहस्पतिदत्तं पुरोहितं पद्मावत्या देव्या सार्द्धमुदारान्० भुंजानं पश्यति 2 आशुरुप्तस्त्रिवलिकां भृकुटिं ललाटे संहृत्य बृहस्पतिदत्तं पुरोहितं पुरुषैाहयति 2 यावदेतेन विधानेन वध्यमाज्ञापयति / एवं खलु गौतम ! बृहस्पतिदत्तः पुरोहितः पुरा पुराणाणं यावद् विहरति। - पदार्थ से णं-वह-अर्थात् महेश्वरदत्त पुरोहित का जीव। ततो-वहां से अर्थात् पांचवीं नरक से।अणंतरं-व्यवधानरहित / उव्वट्टित्ता-निकल कर। इहेव-इसी। कोसंबीए-कौशाम्बी।णयरीए-नगरी में। सोमदत्तस्स-सोमदत्त / पुरोहितस्स-पुरोहित की। वसुदत्ताए-वसुदत्ता / भारियाए-भार्या के / पुत्तत्ताएपुत्ररूप से। उववन्ने-उत्पन्न हुआ। तते णं-तदनन्तर अर्थात् उत्पन्न होने के पश्चात्। तस्स-उस।दारगस्सबालक के। अम्मापितरो-माता पिता। णिव्वत्तबारसाहस्स-बालक के जन्म से लेकर बारहवें दिन / इमंयह। एयारूवं-इस प्रकार का। नामधिज्ज-नाम। कति-करते हैं। जम्हाणं-जिस कारण। अम्हं-हमारा। इमे-यह / दारए-बालक। सोमदत्तस्स-सोमदत्त / पुरोहियस्स-पुरोहित का। पुत्ते-पुत्र, और। वसुदत्ताएवसुदत्ता का। अत्तए-आत्मज है। तम्हाणं-इस कारण / अम्हं-हमारा यह। दारए-बालक। बहस्सतिदत्तेबृहस्पतिदत्त / नामेणं-नाम से। होउ-हो। तते णं-तदनन्तर / से-वह / बहस्सतिदत्ते-बृहस्पतिदत्त / दारएबालक। पंचधातीपरिग्गहिते-पांच धाय माताओं से परिगृहीत हुआ। जाव-यावत्। परिवड्ढति-वृद्धि को प्राप्त होने लगा। तते णं-तदनन्तर।से-वह / बहस्सतिदत्ते-बृहस्पतिदत्त बालक / उम्मुक्कबालभावेबालभाव को त्याग कर।जोव्वणगमणुप्पत्ते-यौवन अवस्था को प्राप्त हुआ, तथा।विण्णायपरिणयमेत्तेविज्ञातपरिणतमात्र-जिस का विज्ञान परिपक्व अवस्था को प्राप्त हो चुका है। होत्था-था। से णं-वहबृहस्पतिदत्त / उदयणस्स-उदयन / कुमारस्स-कुमार का।पियबालवयंसे-प्रिय बालमित्र अर्थात् बृहस्पतिदत्त उदयन कुमार को प्यारा था और उसका यह बाल्यकाल का मित्र। यावि होत्था-भी था, कारण कि। सहजायए-दोनों का जन्म एक साथ हुआ। सहवड्ढिए-दोनों एक साथ ही वृद्धि को प्राप्त हुए। सहपंसुकीलियए-साथ ही पांसुक्रीडा-धूलिक्रीडा अर्थात् बालक्रीड़ा किया करते थे। तते णं-तदनन्तर। से-वह। सयाणीए-शतानीक। राया-राजा। अन्यया कयाइ-किसी अन्य समय। कालधम्मुणा-कालधर्म को। संजुत्ते-प्राप्त हुआ। तते णं-तदनन्तर अर्थात् शतानीक के मृत्युधर्म को प्राप्त हो जाने पर। से-वह। उदयणे-उदयन / कुमारे-कुमार। बहूहिं-अनेक। राईसर-राजा-माण्डलीक अर्थात् किसी प्रान्त या मण्डल (जिला या बारह राज्यों का समह) की रक्षा या शासन करने वाला. ईश्वर-धन सम्पत्ति आदि के ऐश्वर्य से युक्त / जाव-यावत् / सत्थवाह-सार्थवाह-यात्री व्यापारियों का मुखिया अथवा संघनायक / प्पभितीहिंआदि के। सद्धिं-साथ। संपरिवुडे-संपरिवृत-घिरा हुआ। रोयमाणे-रुदन करता हुआ। कंदमाणे-आक्रंदन 1. सहजातकः-समानकाले उत्पन्नः, सहवर्धितकः-सहैव वृद्धि प्राप्तः, सहपांसुक्रीडितः-सहैव कृतबालक्रीडः। प्रथम श्रुतस्कंध ] श्री विपाक सूत्रम् / पंचम अध्याय [499