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________________ नगर का उल्लेख है जब कि यहां साहजनी नगरी का / अवशिष्ट वर्णन समान ही है। अब सूत्रकार गौतम स्वामी के उक्त प्रश्न के उत्तर में भगवान् ने जो कुछ फरमाया, उस का वर्णन करते हैं मूल-एवं खलु गोतमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे छगलपुरे णामं णगरे होत्था। तत्थ सीहगिरी णामं राया होत्था, महया। तत्थ णं छगलपुरे णगरे छण्णिए णामं छागलिए परिवसति, अड्ढे, अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे। तस्स णं छण्णियस्स छागलियस्स बहवे अयाण य एलाण य रोज्झाण य वसभाण य ससयाण य पसयाण य सूयराण य सिंघाण य हरिणाण य मऊराण य महिसाण य सतबद्धाणि य सहस्सबद्धाणि य जहाणि वाडगंसि सन्निरुद्धाइं चिट्ठति। तत्थ बहवे परिसा दिण्णभइभत्तवेयणा बहवे अए य जाव महिसे य सारक्खमाणा संगोवेमाणा चिटुंति।अन्ने य से बहवे पुरिसा अयाण जाव महिसाण य गिहंसि निरुद्धा चिटुंति। अन्ने य से बहवे पुरिसा दिण्णभतिभत्तवेयणा बहवे अए य जाव महिसे य सयए य सहस्सए जीविताओ ववरोवेंति 2 त्ता मंसाई कप्पणी-कप्पियाइं करेंति 2 त्ता छण्णियस्स छागलियस्स उवणेति, अन्ने य से बहवे पुरिसा ताई बहुंयाइं अयमंसाइं जाव महिसमंसाइं य तवएसु य कवल्लीसु य कंदूसु य भज्जणएसु य इंगालेसु य तलेंति य भज्जेंति य सोल्लिंति य तलंता य 3 रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरति / अप्पणा वि य णं से छण्णियए छागलिए तेहिं बहूहिं अयमंसेहि य जाव महिसमंसेहि य सोल्लेहिं तलिएहिं सुरं च 5 आसादेमाणे 4 विहरति। तते णं से छण्णिए छागलिए एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमायारे सुबहुं पावं कम्मं कलिकलुसं समज्जिणित्ता सत्तवाससयाई परमाउं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पुढवीए उक्कोसेणं दससागरोवमठितिएसु णेरइएसु णेरइयत्ताए उववन्ने। छाया-एवं खलु गौतम ! तस्मिन् काले तस्मिन् समये इहैव जंबूद्वीपे द्वीपे भारते वर्षे छगलपुरं नाम नगरमभवत्। तत्र सिंहगिरिः नाम राजाभूत्, महता / तत्र छगलपुरे नगरे छण्णिको नाम छागलिकः परिवसति, आढ्यः', अधार्मिको यावत् 448 ] श्री विपाक सूत्रम् / चतुर्थ अध्याय [प्रथम श्रुतस्कंध
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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