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________________ उत्कृष्ट, सिंहनाद, बोल और कलकल रूप जो शब्द हैं, उनके द्वारा समुद्र के शब्द को प्राप्त हुए के समान गगनमण्डल-आकाशमण्डल को करती हुईं। __ "अहमवि जाव विणिज्जामि"-यहां पठित "-जाव-यावत्-" पद से "बहूहिं मित्तणाइनियगसयणसंबन्धिपरियणमहिलाहिं अन्नाहि य चोरमहिलाहिं सद्धिं संपरिवुडा" से लेकर "चोरपल्लीए सव्वओ समंता ओलोएमाणीओ 2 आहिण्डेमाणीओ दोहलं" यहां तक के पाठ का ग्रहण समझना चाहिए। इन पदों का अर्थ पीछे कर दिया गया है। "अविणिज्जमाणंसि जाव झियाति"-यहां पठित-जाव-यावत्-पद से "-सुक्खा, भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा नित्तेया दीणविमणवयणा पंडुइयमुही ओमंथियनयण-वयण-कमला जहोइयं पुप्फवत्थगन्धमल्लालंकारहारं अपरिभुंजमाणी करयलमलिय व्व कमलमाला, ओहयमणसंकप्पा"-इन पदों का ग्रहण करना सूत्रकार को अभिमत है। इन पदों का अर्थ द्वितीय अध्याय में दिया जा चुका है। प्रस्तुत सूत्र में निर्णय का नरक से निकल कर स्कन्दश्री के उदर में आने का तथा स्कन्दश्री को उत्पन्न दोहद का वर्णन सूत्रकार ने किया है। अब उसके दोहद की पूर्ति और बालक के जन्म का अंग्रिम सूत्र में वर्णन करते हैं मूल-तते णं से विजए चोरसेणावती खंदसिरिभारियं ओहत. जाव पासति 2 त्ता एवं वयासी-किंण्णं तुमं देवाणुः! ओहत जाव झियासि ? तते णं सा खंदसिरी विजयं एवं वयासी-एवं खलु देवाणु० ! मम तिण्हं मासाणं जाव झियामि। तते णं से विजए चोरसेणावती खंदसिरीए भारियाए अंतिते एयमढे सोच्चा निसम्म खंदसिरिं भारियं एवं वयासी-अहासुहं देवाणुप्पिए ! त्ति एयमटुं पडिसुणेति। तते णं सा खंदसिरी भारिया विजएणं चोरसेणावतिणा अब्भणुण्णाया संमाणी हट्ट बहूहि मित्त जाव अन्नाहि य बहूहिं चोरमहिलाहिं सद्धिं संपरिवुडा ण्हाया जाव विभूसिता विपुलं असणं 4 सुरं च 5 आसादेमाणी 4 विहरति।जिमियभुत्तुत्तरागया पुरिसणेवत्थिया सन्नद्धबद्ध जाव आहिंडेमाणी दोहलं विणेति, तते णं सा खंदसिरी भारिया संपुण्णदोहला संमाणियदोहला विणीयदोहला वोच्छिण्णदोहला संपन्नदोहला तं गब्भं सुहंसुहेणं परिवहति। तते णं सा खंदसिरी चोरसेणावतिणी णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाता। प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / तृतीय अध्याय [371
SR No.004496
Book TitleVipak Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni, Shivmuni
PublisherAatm Gyan Shraman Shiv Agam Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages1034
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_vipakshrut
File Size21 MB
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