________________ हतोत्साह हुई मैं सोच रही हूं अर्थात् मेरी इस दशा का कारण उक्त प्रकार से दोहद का पूर्ण न होना है। तब कूटग्राह भीम ने अपनी उत्पला भार्या से कहा कि भद्रे ! तू चिन्ता मत कर, मैं वही कुछ करूंगा, जिससे कि तुम्हारे इस दोहद की पूर्ति हो जाएगी। इस प्रकार के इष्ट-प्रिय वचनों से उसने उसे आश्वासन दिया। टीका-गत सूत्र पाठ में भीम नामक कूटग्राह को अधर्मी, पतित आचरण वाला और उसकी स्त्री उत्पला को सगर्भा-गर्भवती कहा गया है। अब प्रस्तुत सूत्र में उसके दोहद का वर्णन करते हैं। उत्पला के गर्भ को लगभग तीन मास पूरे हो जाने पर उसे यह दोहद उत्पन्न हुआ कि वे माताएं धन्य हैं तथा उन्होंने ही अपने जन्म और जीवन को सार्थक बनाया है जो सनाथ या अनाथ अनेकविध पशुओं जैसा कि नागरिक गौओं, बैलों, पड्डिकाओं और सांडों के ऊधस्, स्तन, वृषण, पुच्छ, ककुद, स्कन्ध, कर्ण, अक्षि, नासिका, जिव्हा ओष्ठ तथा कम्बल-सास्ना आदि के मांस जो शूलाप्रोत, तलित (तले हुए), भृष्ट, परिशुष्क और लावणिक-लवणसंस्कृत हैं- के साथ सुरा, मधु, मेरक जाति, सीधु और प्रसन्ना आदि विविध प्रकार के मद्य विशेषों का आस्वादन आदि करती हुईं अपने दोहद को पूर्ण करती हैं। यदि मैं भी इस प्रकार नागरिक पशुओं के विविध प्रकार के शूल्य (शूलाप्रोत) आदि मांसों के साथ सुरा आदि का सेवन करूं तो बहुत अच्छा हो, दूसरे शब्दों में यदि मैं पूर्वोक्त आचरण करती हुई उन माताओं की पंक्ति में परिगणित हो जाऊं तो मेरे लिए यह बड़े ही सौभाग्य की बात होगी। सगर्भा स्त्री को गर्भ रहने के दूसरे या तीसरे महीने में गर्भगत जीव के भविष्य के अनुसार अच्छी या बुरी जो इच्छा उत्पन्न होती है उस को अर्थात् गर्भिणी के मनोरथ को दोहद कहते हैं। "अम्मयाओ जावसुलद्धे"इस में उल्लिखित "जाव-यावत्" पद से "कयपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयत्थाओ णं ताओ अम्मयाओ तासिं णं अम्मयाणं सुलद्धे जम्मजीवियफले" [वे माताएं पुण्यशाली हैं, कृतार्थ हैं, तथा शुभलक्षणों वाली हैं एवं उन माताओं ने ही जन्म और जीवन का फल प्राप्त किया है] इन पाठों का ग्रहण करना ही सूत्रकार को अभीष्ट है। "-सणाहाण य जाव वसभाण" यहां पठित "जाव-यावत्" पद से "-अणाहाण यणगर-गावीण य णगरवलीबद्दाण य-" इत्यादि पदों का ग्रहण अभिमत है। इन पदों की व्याख्या पीछे कर दी गई है। ऊधस्-गो आदि पशुओं के स्तनों के उपरी भाग को उधस् कहते हैं, जहां कि दूध भरा प्रथम श्रुतस्कंध] श्री विपाक सूत्रम् / द्वितीय अध्याय [273