________________ श्रीसिद्भहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् ओतो घुट चित्रगुः -शसा सुगाम् पुंसोः पुमन्स् // 11473 // पुंसोः 'पुमन्स्' घुटि स्यात् / पुमान्, पुमांसी, पुमांसः / प्रियपुमान्, प्रियपुमांसि // 73 // ओत औः / 1 / 474 // ओतो घुटि परे ‘औः' स्यात् / गौः, गावी, द्यौः, द्यावी, प्रियद्यावी / ओत इति किम् ? चित्रगुः // 4 // आ अम्-शसोऽता 111475 // ओतोऽम्-शसोरता सह 'आः' स्यात् / गाम् / सुगाम् / गाः। द्याम् / अतिद्याम् / द्याः / सुद्याः // 75 // पथिन-मथिनृभुक्षः सौ 11476 // एषां नान्तानामन्तस्य सौ परे ‘आः' स्यात् / पन्थाः, हे पन्थाः ! / मन्थाः, हे मन्थाः, ! / ऋभुक्षाः, हे ऋभुक्षाः ! / नान्तनिर्देशादिह न स्यात् . पन्थानमैच्छत् पथीः // 76 // ए: 1477 // पथ्यादीनां नान्तानामितो घुटि परे ‘आः' स्यात् / पन्थाः, पन्थानी, पन्थानः, पन्थानम्; सुपन्थानि कुलानि / मन्थाः / ऋभुक्षाः / नान्तनिर्देशाद्-एरभावाचेह न स्यात्- पथ्यौ, पथ्यः // 77 // थोन्थ् / 11478 // पथिन्-मथिनोन्तियोस्थस्य घुटि परे ‘न्य्' स्यात् / तथैवोदाहृतम् // 78 // इन् ङीस्वरे लुक् / / 4 / 79 // पथ्यादीनां नान्तानां ड्यामघुट्स्वरादौ च स्यादौ परे ‘इन् लुक्' स्यात् / सुपथी स्त्री कुले वा / पथः / सुमथी स्त्रीकुले वा / मथः / अनृभुक्षी सेना कुले वा।