________________ श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 305 2004 उषस् प्रभातीभावे / | 2025 इरध 2026 इषुध 2005. इरस् ईर्ष्यायाम् / शरधारणे / (इरज् इरग् इत्यपि केचित्) | 2027 कुषुभ क्षेपे / 2006 तिरस् अन्तौं / (श्रीहैमशब्दानुशासने 'कुषुम्भ' इति, 2007 इयस् 2008 इमस् क्रियारलसमुच्चये च 'कुरुरु क्षेपे' इति 2009 पयस् 2010 अस् पाठः / ) प्रसृतौ / / 2028 सुख 2029 दुःख 2011 सम्भूयस् प्रभूतभावे / तक्रियायाम् / 2012 दुवस् परिताप-परि- 2030 अगद निरोगत्वे / चरणयोः / / 2031 गद्गद वाक्स्खलने / 2013 दुरज् २०१४.भिषज् / 2032 तरण 2033 वरण गतौ / चिकित्सायाम् / | 2034 उरण 2035 तुरण 2015 भिष्णुक् उपसेवायाम् / त्वरायाम् / (भिष्णज् उपसेवायामित्येके) | 2036 पुरण गतौ / 2016 रेखा श्लाघा-सादनयोः / / 2037 भुरण धारण-पोषण-युद्धेषु / 2017 लेखा विलास-स्खलनयोः / .| 2038 चुरण मति-चौर्ययोः / . (अदन्तोऽयमित्यपरे) : / (हेमशब्दानुशासने-'वुरण' इति) 2018 एला 2019 वेला | 2039 भरण प्रसिद्धार्थः / 2020 केला 2021 खेला विलासे / | 2040 तपुस 2041 तम्पस् (इला इत्यन्ये / खल इत्येके / ) | दुःखार्थः / 2022 गोधा 2023 मेधा / (तन्तस पम्पस इत्यन्यत्र) / .. . आशुग्रहणे / | 2042 अरर आराकर्मणि / 2024 मगध परिवेष्टने / 2043 सपर पूजायाम् / (नीचदास्ये इत्यन्ये / ) 2044 समर युद्धे /