________________ - श्रीसिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासनम् 295 1547 मन्थश् विलोडने / इति यादयः शितो पातवः // 1548 ग्रंन्यश् संदर्भे / 1549 कुन्थश् संकेशे / 1568 चुरण स्तेये / 1550 मृदश् क्षोदे / 1569 पृण पूरणे / 1551 गुधश् रोषे / 1570 घृण स्रवणे / 1552 बन्धंश् बन्धने / / 1571 श्वल्क 1572 वल्कण् / 1553 शुभश् संचलने / भाषणे / 1554 णम् 1555 तुभश् 1573. नक्क 1574 धक्कण हिंसायाम् / नाशने / 1556 खवश् हेठश्वत् / 1575 चक्क 1576 चुकण् 1557 क्लिशौश् विबाधने / . व्यथने / 1558 अशश् भोजने / 1577 टकुण् बन्धने / 1559 इषश् आभीक्ष्ण्ये / 1578 अर्कण् स्तवने / 1560 विषश् विप्रयोगे / . 1579 पिच्चण कुट्टने / 1561 पुष 1562 प्लुषश् | 1580 पचुण विस्तारे / (स्नेह-सेचन-पूरणेषु / ) . 1581 म्लेच्छण म्लेच्छने / 1563 मुषश् स्तेये / 1582 ऊर्जण् बल-प्राणनयोः / 1564 पुषश् पुथै / 1583 तुजु 1584 पिजुण् 1565 कुषश् निष्कर्षे / . हिंसा-बल-दान-निकेतनेषु / 1566 ध्रसूश् उज्छे / 1585 क्षजुण् कृच्छ्रजीवने / // इति परस्मैभाषाः // 1586 पूजण् पूजायाम् / 1587 गज 1588 मार्जण शब्दे / 1567 वृक्श् सम्भक्तौ / 1589 तिजण् निशाने / // इति आत्मनेभाषाः // 1590 वज 1591 व्रजण्