________________ प्रकाशकीय आ पुस्तकनी महत्ता तथा उपयोगिता साथेना परिचयमा सुन्दर समजावी छे. अमने तो आवा गौरवान्वित ग्रन्थ प्रकाशन _ करवा गौरव प्राप्त थयुं छे, एज महत् पुण्य समजाय छे, आ प्रकाशनमा अनेकनी सहाय उपयुक्त बनी छे - ते सर्वनो अमे हार्दिक आभार मानीए छीए. आ प्रसंगे अमोने सं०.१९९७ मां पूज्यपाद आचार्य महाराजश्रीए अत्रे करेल चातुर्मास याद आवे छे. ते वृत्तान्त अमोए 'इन्दुदूत' खण्डकाव्य पुस्तकमा जणाव्युं छे. आ समानी उपस्थिति ते प्रसंगे थई छे. आवा प्रकाशनो अनेक अमारे हाथे थाय एवी अभिलाषा साथे ए . प्रकाशनोथी विश्व सन्मार्गाभिमुख ...बने एम. - इच्छीए छीए. -प्रकायक।