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________________ ७८३-७८४-आसत्थो वीसंतो वज्जो बद्धो ७८५-७८६-पयट्टय” चलिआ ।करणी रुव ७८७-७८८-चलिअ वइकलिअ परिसरो पासा // 239 // ७८९-७९०-आरद्ध आढत्त निय निक्खयं ७९१-७९२-अवेसिणो फलिहा / फरिसो फंसो ७९३-७९४-तुमुल मुहलरवो पायसो खोरी // 24 // ७९५-७९६-उम्मलण उच्चलण इहरा अन्नह ७९७-७९८-सहासओ सम्भो / चित्त माणसं ७९९-८००-अक्खो बहेडओ संगमो मेलो // 241 // ८०१-८०२-समओ मयं विराय विलोण ८०३-८०४-उप्पाहल च उकंठा / संचारी दूई ८०५-८०६-सालिरक्खिआ कलमगोवि त्ति // 242 // 783 विश्रान्त. 784 वध्य. 785 चलित. 786 आकार. 785 होडो-अस्थैर्य 788 परिसर. 789 शरू करेलु . 790 निहत. 791 परिध. 792 स्पर्श. 793 तुमुल. 794 खीर. 795 उन्मर्दन 796 अन्यथा. 797 सभ्य. 798 चित्त 799 बहेडु. 800 मेळो. 801 मत. 802 गळेलु. 803 उत्कंठा. 804 दूती. 80 कमोदनी रखवाळी. 806 भग्न.
SR No.004490
Book TitlePrakrit Vyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanyamsagar
PublisherSanyamsagar
Publication Year1986
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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