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________________ ५००-५०१-उद्दालिअ अच्छिन्न / अकिंवत्त अंछेअ च का?अय / ५०२-५०३-पन्नाडिअयं परिहट्टिों / च ओसरिअ' ओसके / 178 ५०४-५०५-उत्थल्लिअ उच्छलिश'। पच्छाइअ-नूमिआइ वइआइ ५०६-५०७-निद्वाडिअय नीणिअ' / ओहीरतं च सीअंत / 169 / ५२८-५०९-उन्नालिों उन्नाभि / उईगय उत्रसपि च अल्लाण / ५१०-५११-चुण्णइअ चुण्णायं / उच्चडिम मुक्कम जाय / 18 / ५१२-५१३-उद्धंकय ऊसविअं' / फुडिअ फलिअ च दलिअ उद्दार ५१४-५१५-संवेल्लिअ मलिअ / परिहाय दुबल झौण / 181 ५१६-५१७-मुसुमुरिअयं चुण्णिा ' / उड्डिहिऽ-उस्रोडिआइ' . उक्खित्त / ५१८-५१९-मुरुमुरिअ' रुइ। उन्नुअ' भुक्किअं जाण / / 520- ५२१-अवचिों उच्चिणि अत्थे / तांडअ तड्डविअय . विरल्लिअय। 522-523- उच्चमि उग्गिाले। छुहाइअ भुक्खि छाय।। 500 दुकडां करेल. 501 क्षिप्त. 5:2 कचरेलु 503 अपमृत. 504 उछळेलु. 505 ढांके ल. 506 निसरेल. 507 चतु. 508 उन्नामित. 509 उपगत. 510 टेलु मर्यादा रहित. 512 ऊचु करेल. 513 स्फुटित 514 संवेष्टित 515 क्षीग. 516 चूर्ग करेलु. 517 उत्क्षिप्त. 518 कामचिंता. 519 भसेलु. 520 अवचित. 521 विस्तरेलु 522 उद्वमित. 523 भूख्युथएल.
SR No.004490
Book TitlePrakrit Vyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSanyamsagar
PublisherSanyamsagar
Publication Year1986
Total Pages266
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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