________________ 246 शुद्धि-पत्र - शुद्ध 101 102 116 Burs aur 220 123 127 131 अशुद्ध प्रेषयामा सराजा व्यूनहा भ्रकुटि सम्पादिस च सङ्गल भरम्राजि कुलश्रा हियापितां धनु राशः प्रेषयामास राजा व्यूहना भृकुटि सम्पादितं च मङ्गल भरभ्राजि कुलश्री . हियापितां धनुरीशः 146 152 सिद्धसहस्रनामकोश 172 12 तिस्त्रिलिङ्गक: तित्रिलिङ्गकः 176 16 के पश्चात् निम्नलिखित पुष्पिका चाहिये___ इति महोपाध्याय "श्रीयशोविजयगणि' समुच्चिते राजनगरवास्तव्यसङ्घमुख्य-साह पनजी सुभूषिते श्रीसिद्धनामकोशे षष्ठशतकप्रकाशः // 6 // 1808 नादोस्वरो नादोऽस्वरो 181 15. उपज्ञा उपज्ञः