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________________ 242 201 नामानि शुद्धात्मने शुभंयवे शेमुषीधराय शैलेशाय . शोभनाय श्रद्धाधातवे श्रीगर्भाय श्रीदाय श्रीपतये श्रीपाताय श्रीयुक्ताय श्रीरमणाय श्रीरामाय श्रेष्ठाय मचाताताय य सहस्रनाम्नामनुक्रमणिका पृष्ठाङ्काः नामानि पृष्ठाङ्काः 187 / सदासुहृदे 165 सदासौख्याय 201 संदास्थितये सदास्नाताय सदोदयाय सदोद्योताय सदोन्निद्राय सनातनाय समयातीताय 200 160 समयाय 205 समयोपज्ञाय सम्बुद्धाय 166. सर्वगाय 160 सर्वजनीनाय सर्वदर्शनाय सर्वमन्त्रावतारवते सर्वमलोज्झिताय सर्वशर्मदाय सर्वशुद्धदयामयाय सर्वातीताय सर्वादये सर्वार्थसिद्धाय सर्वाविप्रतिपन्नाय सर्वेश्वराय | सर्वोपाधिविशुद्धि मते 187 | सवयसे . सवित्रे 207 सत्तायै 166 164 1 सदाज्ञानाय सदातनाय सदातृप्ताय सदानघाय सदाभोगाय सदायोगाय सदालेपाय सदाविद्याय सदाशिवाय सदाश्रयाय सदासत्याय 165 200 '.", संवृताय 205
SR No.004489
Book TitleArshbhiyacharit Vijayollas tatha Siddhasahasra Namkosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharati Jain Prakashan Samiti
Publication Year1976
Total Pages402
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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