________________ 178 सिद्धसहस्रनामकोश. बन्धुरो रुचिर"श्चारु बन्धू रुप्यश्च शोभनः" / शतशाखः शतःश्च" शततारः२ शताध्वगः / / 11 / / शतोपायः४ शताख्यानः५ शतकीतिः६ शताह्वयः" / शतगृह्यः" शतोद्गीथः शतवृत्तिः श्रियेऽस्तु नः // 12 / / // इति महोपाध्याय-श्रीयशोविजयगणि-समुच्चिते राजनगरवास्तव्यसवमुख्य-साह पनजी'सुश्रूषिते श्रीसिद्धनामकोशे सप्तमशतकप्रकाशः // 7 // प्रथाष्टमशतकप्रकाश: धीशो' धियःपति/न्द्रो' धिषणः शेमुषीधरः / धीगणो धीसमूहश्च' गीष्पतिश्च गिराम्पतिः // 1 // वाचस्पति वचःस्रष्टा" बृहदात्मा२ बृहस्पतिः / बृहदारण्यको [द् ] द्योती४. मनीषीशो५ मनीषितः / / 2 / / नयोत्क्रान्तो" नयोद्भेदी ज्ञानगर्भ:' प्रभास्वरः / रत्नगर्भो' दयागर्भ:२२ पुण्यगर्भः 'स्वगर्भगः / / 3 / / लक्ष्मीश:२५ कमलानाथो निमन्तु"मन्तुमोचनः / आशामोचन" उद्दाम" अाशाविश्रामभाजनम् // 4 // 1. "स्तु वः // 12 // श्री सिध्दनाम जं०॥ . 2. मनीषीष्टो 15 जं०॥ 3. स्वगर्भजः 24 जं० //