________________ सद्धसहस्रनामकोशः 173 त्रयीतनू स्त्रयीगीत:९६ पिटकत्रयदेशितः / त्रिस्थ स्त्रिकरणोन्मुक्त"स्त्रिब्रह्मप्रकृतिः४०० ४श्रिये // 12 // ॥इति महोपाध्याय 'श्रीयशोविजयगणि" समुच्चिते राजनगरवास्तव्यसङ्घमुख्य-साह पनजी'सुश्रूषिते श्रीसिद्धनामकोशे चतुर्थशतकप्रकाशः // 4 // प्रथ पञ्चमशतकप्रकाशः ... शक्तो' निरेजः' कूटस्थः शीलेशः' शीलनायकः / - शैलेशः प्राप्तशैलेशिनिश्चयी व्यवहारमुक् / / 1 / / अनुपाधि"रुपाधिच्छित् सर्वोपाधिविशुद्धिमान्" / अनाचार्यो"ऽनुपाध्यायो"गुरु गुरुशिरोमणिः // 2 // स्वयम्बुद्धो" विबुद्धश्च" सम्बुद्धो" बुद्धजागर: / तुरीयावस्थित"स्तुर्यः सिद्ध जागरिकात्रयः२३ // 3 // अशस्त्रः" शस्त्रमुक्" शस्त्रोज्झितः शस्त्रविवर्जितः / अशस्त्री . परमाशस्त्रोऽशस्त्रभी रकुतोभयः // 4 // 3. पितृक य०। 4. श्रिये // 12 // श्रीसिद्धनामकोशे चतुर्थप्रकाशः // 4 // जं० /