________________ 13 सुयोग्य समय में एक महान् तेजस्वी पुत्ररत्न को जन्म दिया। माता-पिता ने उसका नाम 'जसवंत कुमार' रखा। ये जसवंत ही थे हमारे भावी महान् विद्वान् मुनि 'यशोविजयजी।' जन्मकाल अत्यन्त खेद की बात है कि वे किस वर्ष के किस मास में किस दिन उत्पन्न हुए थे' इसका कहीं कोई उल्लेख हमें प्राप्त नहीं होता है / उनके जीवन को व्यक्त करने वाली---'सुजसबेली, ऐतिहासिक वस्त्रपट, हैमधातुपाठ की लिखित पोथी, ऊना के स्तवन का लिखित पत्र तथा उनके द्वारा रचित ग्रन्थों की प्रशस्तियाँ - इन सब सामग्रियों का अध्ययन करने से आपका जन्म सम्भवतः वि० सं० 1640 से 1650 के बीच माना जा सकता है तथा वे सं० 1743 में स्वर्गवासी हुए थे और इस उल्लेख के आधार पर ही उनकी आयु सौ वर्ष की रही होगी यह अनुमान किया जा सकता है / शासन-सेवा के लिए समर्पण सं० 1678 में 'सुजसबेली' रचना के कथनानुसार पण्डित मुनि 'नयविजय जी' कुणगेर से चातुर्मास करके कनोड़ पधारे / जसवन्त की माता 'अपने पुत्र का जीवन धार्मिक-संस्कारों से सुवासित बने' इस भावना से प्रतिदिन देवदर्शन तथा गुरुदर्शन के लिए जाती थीं तब जसवन्त को भी साथ ले जाती थीं। देवदर्शन करके नित्य उपाश्रय में गुरु को वन्दना और सुखसाता की पृच्छा करके 'माङ्गलिक पाठ का श्रवण करतीं और अपने घर गोचरी-भिक्षा का लाभ देने की प्रार्थना करतीं। धीरे-धीरे जसवन्त अन्य समय में भी उपाश्रय जाता-आता, 1. 'सुजसबेलि' (ढाल 1, कड़ी 13) के अनुसार उपाध्यायजी की बड़ी दीक्षा का समय वि० सं० 1688 दिया है, 'ऐतिहासिकवस्त्रपट' में वि० सं० 1663 का उल्लेख करते हुए यशोविजयजी का उल्लेख किया है, 'हैमधातुपाठ' की प्रति वि० सं० 1665 में लिखित तथा 'उन्नतपुरस्तवन' की वि० सं० 1668 की प्रति पू० उपाध्याय जी द्वारा लिखित प्राप्त होती है, अतः इन सभी के आधार पर इस समय का अनुमान किया जाता है /