________________ ( 47 ) में उसका दस दिन तक अभूतपूर्व प्रायोजन हुमा। उस समय निकाले गए चलसमारोह में प्रायः एक लाख मनुष्यों ने भाग लिया था। __इसके पश्चात् राष्ट्र के लिए सुवर्ण की आवश्यकता होने पर आप की ही प्रेरणा से 'राष्ट्रीय जैन सलाहकार समिति' की रचना की गई और उस समय के गृहमन्त्री श्री गुलजारीलाल नन्दा को बुलाकर उन के माध्यम से 17 लाख का सुवर्ण गोल्डबॉण्ड के रूप में अर्पित किया गया। अनन्य साहित्यस्रष्टा तथा कलाप्रेमी मुनिजी की विशिष्ट प्रतिभा से साहित्य और कला के क्षेत्र में उपयोगी संस्थानों की स्थापना हुई है। आपके मार्गदर्शन में ही 'यशोभारती जैन प्रकाशन समिति' तथा जैन संस्कृति कलाकेन्द्र' उत्तम सेवा कार्य कर रहे हैं और इसके अन्तर्गत चित्रकला निदर्शन' नामक संस्था भी प्रगति के पथ पर पदार्पण कर रही है। आपकी साहित्य तथा कला के क्षेत्र में की गई सेवा को लक्ष्य में रखकर जैन समाज ने आपको ‘साहित्य-कला-रत्न' की सम्मानित पदवी से विभूषित किया है। ___ भगवान् श्री महावीर के 2500 वें निर्वाण महोत्सव के निमित्त राष्ट्रीय समिति की जो रचना की गई उसमें प्रापकी विशिष्ट योग्यता को ध्यान में रखकर आपको 'प्रतिथि-विशेष' के रूप में लिया गया और इस समिति ने आपकी साहित्य-प्रतिभा, कल्पना दृष्टि, शास्त्रीय ज्ञान एवं गम्भीर सूझ-बूझ का यथासमय लाभ लिया / इसी अवसर पर प्रापने भगवान् महावीर के समस्त जीवन का सचित्र दर्शन कराने वाला 'तीर्थंकर भगवान् श्रीमहावीर' नामक ग्रन्थ तैयार करके प्रकाशित किया / लोककल्याण की कामना पूज्य श्री साहित्य के क्षेत्र में कुछ विशिष्ट योगदान करने की भावना तो रखते ही हैं, साथ ही मुख्य रूप से वर्तमान पीढ़ी के लाभ के लिए तथा जैनसंघ के गौरव की अभिवृद्धि के लिए जैन संघ का सर्वांगीण सहयोग प्राप्त होता रहा तो चित्रकला और शिल्पकला के क्षेत्र में अनेक अभिनव सर्जन करने तथा कुछ न कुछ नई देन देने की भी भावना रखते हैं। जैनसमाज,