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________________ ऽङ्कः] 29 अभिनवराजलक्ष्मी-भाषाटीका-विराजितम् 449 इति / तन्न युक्तं मेऽत्र विलम्बितुम् / यावदेतेन वृत्तान्तेन प्रियसखी शकुन्तलां समाश्वासयामि ( -इत्युद्धान्तकेन निष्क्रान्ता)] / ( नेपथ्ये-) भो अब्बह्मण्णं ! अब्बह्मणं ! / [भो अब्रह्मण्यम् ! अब्रह्मण्यम् !! ] / राजो-(प्रत्यागतचेलनः कर्ण दत्त्वा-) अये ! माधव्यस्येवाऽऽत्तनादः!। चतुरिका--सो णाम माधवो तवस्सी पिङ्गलिआमिस्सिआहिं चेडिआहिं चित्तफलमहत्थो पाविदो भवे / ...[स नाम माधव्यस्तपस्वी पिङ्गलिकामिश्रिताभिश्चेटकाभिश्चित्रफलकहस्तः प्राप्तो भवेत् !] / वामं, शीघ्रं भ्रमेद्वामावर्त्तमुगान्तकं विदुः' इति तल्लक्षणम् / [ आदानं नाम सन्ध्य ङ्गम् / ब्रह्मणे हितं ब्रह्मण्यं, न ब्रह्मण्यम्-अब्रह्मण्यं, = नाहं वध्यः ! नाहं वध्यः !! / 'अब्रह्मण्यमवध्योत्तौ' इत्यमरः / / 'दुहाई सरकार की, मुझे बचाओ'] / प्रत्यागतचेतनः = लब्धचैतन्यः / मूर्जापगमात् / आर्तनादः = करुणस्वरः / मधोर्गोत्रापत्यं ब्राह्मणः-माधव्यः / मधुबम्बोरितियत् / मधुपुरी-मथुरावासी-'चौबे' इति प्रसिद्धो वा। मधुदेशनगरीवास्तव्यो हास्यपरो ब्राह्मणो विदूषकः / तपस्वी = दयनीयः / पिङ्गलिकामिश्रिताभिः = पिङ्गलिकामुख्याभिः / नूनं तत्ताडनादिनाऽऽक्रन्दति माधव्य इत्याशयः। अतः मुझे अब यहाँ ज्यादा बिलम्ब नहीं करना चाहिए। और मैं जाकर के सखी शकुन्तला को भी यहाँ का आँखों देखा सब वृत्तान्त सुनाकर धैर्य प्रदान करूँगी। [ लम्बे 2 पैर-रखती हुई, चक्कर काटकर, उछलकर, जल्दी से आकाश में फर्राटे से उड़ जाती है / [ नेपथ्य में-] बड़ा अनर्थ हो रहा है ! दुहाई महाराज की। मुझे बचाइए ! मुझे बचाइए !! राजा-(होश में आकर, कान लगा कर सुनकर ) हैं ! यह तो माधव्य (विदूषक चौबे) का सा आर्तनाद (करुणक्रन्दन) मालूम होता है ! क्या बात है? चतुरिका दासी-चित्रपट ले जाते हुए बेचारे माधव्य को मार्ग में हो महारानी की पिङ्गलिका आदि चेटियों ने कदाचित् पकड़ लिया है और वे उसे तंग कर रही हैं-मुझे तो ऐसा ही मालूम होता है।
SR No.004487
Book TitleAbhigyan Shakuntalam Nam Natakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahakavi Kalidas, Guruprasad Shastri
PublisherBhargav Pustakalay
Publication Year
Total Pages640
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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