________________ ऽङ्कः] अभिनवराजलक्ष्मी-भाषाटीका-विराजितम् 423 राजा--अहमेवाऽऽलम्बे (-इति यथोक्तं करोति ) / (चेटी-निष्क्रान्ता)। विषकः--भो ! किं एत्थ अवरं आलिहिदब्वं ? / [ भोः ! किमत्राऽपरमोलेखितव्यम् ?] / सानुमती--'जो जो पिअसहीए अहिमदो पदेसो तं तं आलिहिदुकामोत्ति तक्केमि। ['यो यः प्रियसख्या अभिमतः प्रदेशस्तं तमालेखितुकोमः'इति तर्कयामि]। राजा--सखे ! श्रूयताम्कार्या सैकतलीनहंसमिथुना स्रोतोवहा मालिनी, पादास्तामभितो निषण्णहरिणा गौरीगुरोः पावनाः / 'पटलेपे, पक्षिभेदे, तूलिकायाञ्च वर्तिका'-इत्यजयः। यथोक्तं करोनि = आलम्बते / अपरमिति / अन्यदपि किञ्चिदत्र चित्रपटेऽर्पणीयं वर्त्तते किमिति प्रश्नार्थः / अभिमतः= प्रियः / आलेखितुकामः = लेखितुमिच्छति / लिलिखिषति / / कार्यति / सैकते लीनानि हंसमिथुनानि यस्याः सा तथा = बालुकामयप्रदेशनिविष्टहंसमिथुनमनोहरा / मालिनी स्रोतोवहा = मालिन्याख्या नदी। कार्या = आलेख्या। किञ्च-तां = मालिनीम् / अभितः = उभयतः। निषण्णा हरिणा येषु तेराजा-मैं ही इसे पकड़ लेता हूँ। (राजा चित्रपट को हाथ में लेता है)। [चेटी-जाती है। विदूषक-मित्र ! इसमें अब और क्या लिखना बाकी रह गया है ? / सानुमती-जो 2 प्रदेश ( स्थान ) मेरी सखी शकुन्तला को प्रिय थे, उन्हें ही यह राजा इस चित्र में और लिखना चाहता है-मैं तो यही समझती हूँ। राजा-हे मित्र ! सुनो इस चित्रपट में अभी-वालुकामय प्रदेशों में हंस मिथुनों (हंस के जोड़ों) से शोभित मालिनी नदी लिखनी है। और उस नदी के दोनों तटों पर हरिण 1 'आलिखितव्यम्' / 2 'आलिखितुकामः' पा० / 3 'निषण्णचमराः' पा० /