________________ अभिज्ञानशाकुन्तलम् [प्रथमोअङ्कलक्षणञ्चोक्तं धनिकेन 'प्रत्यक्षनेतृचरितो, बिन्दुव्याप्तिपुरस्कृतः / अङ्को नानाप्रकारार्थसंविधानरसाश्रयः / / ' इति / दशरूपक-दर्पणयोरपि 'यदा तु सरसं वस्तु मूलादेव प्रवर्त्तते। .. आदावेव तदाऽङ्कः स्यादामुखाऽऽक्षेपसंश्रयः / / ' इति / यथा प्रकृते-राज-सूतप्रवशादेवाऽङ्कारम्भः / इति श्रीगुरुप्रसादशास्त्रिकृतायामभिज्ञानशाकुन्तलाऽभिनवराज लक्ष्मीटीकायां प्रथमोऽङ्कः / हवा भी चल रही हो, तो ध्वजा का दण्ड पूर्व को जाएगा, पर उसका कपड़ा पीछे की ( पश्चिम की ) ओर ही उड़ेगा // 36 // [इस प्रकार सखीजनसहित शकुन्तला और राजा सब अपने 2 स्थान को जाते हैं ] आचार्य-श्रीसीतारामशास्त्रिकृतायां भाषाटीकायां प्रथमोऽङ्कः समाप्तः //