________________ लोकाशाहचरिते निर्दोष रत्नानि च संचितानि पार्श्व भवेयु मम चेदृशीहा / चेत्सन्ति तावद् भवतां समीपे प्रदर्शनीयानि च तानि सवैः // 61 // अर्थ-बादशाह ने कहा-हमारी इच्छा निर्दोष रत्नों को संचित करने की है, यदि आप लोगों के पास रत्न हों तो आप सब उन्हें दिखावें // 61 // બાદશાહે કહ્યું મારી ઈચ્છા નિર્દોષ રત્નોને સંગ્રહ કરવાની છે. જો તમારી પાસે તેવા રત્ન હોય તો તે તમો અમને બતાવો, 6 1 इत्थं तदीया मधिगम्य वाञ्छां ससर्वेश्च तैः रत्नपरीक्षकैस्तैः / स्व स्वानि रत्नानि नृपाय तस्मै प्रदर्शितानि प्रमुदन्तरङ्गः // 2 // ___ अर्थ-इस प्रकार से बादशाह की इच्छाको जानकर उन सब रत्न परीक्षकों ने हर्षित मन होकर अपने 2 रत्न उस बादशाह को दिखलाये. // 62 // આ પ્રમાણે બાદશાહની ઈચ્છા જાણીને તે સઘળા રત્નપરીક્ષકોએ પ્રસન્ન મનવાળા બનીને પોતાના રસ્તે એ બાદશાહને બતાવ્યા. દુર आसीत्तदा सूरतपुर्निवासी तत्र स्थितः कश्चिद्रनवित्सः। प्रदर्शयामास नृपाय तस्मै स्वे मौक्तिके द्वे बहु मूल्यसाध्ये // 63 // अर्थ-उस समय वहां सूरत शहर का रहने वाला एक जौहरी बैठा था. उसने अपने विशेष अधिक मूल्य वाले दो मोती उस बादशाह के लिये दिखलाये. // 63 // તે વખતે ત્યાં સુરતના રહેવાવાળા એક ઝવેરી બેઠા હતા. તેણે પોતાના બહુ કીમતી બે મેતી બાદશાહને બતાવ્યા. 6 3 लक्षं द्विसप्तत्यधिकं च मूल्यं नृपाल मौले! ह्यनयोः समस्ति / पृष्टोऽथ सोज्वोचदिमां च वाचं श्रुत्वा नृपोऽसौ च परीक्षणार्थम् // 4 // दत्त्वा च तेभ्यः खलु मौक्तिके ते आहस्म तान बा किमस्ति सत्यम् / मूल्यं यदेतेन महोदयेन प्रोक्तं तदा ओमिति तैनिरुक्तम् // 65 // अर्थ-इन दोनों का मूल्य क्या है इस प्रकार से जब बादशाह ने उस जौहरी से पूछा तब उत्तर में उसने कहा-महाराज ! इनका मूल्य 1 लाख 72 हजार रुप्या है. ऐसी उस की बात को सुनकर बादशाह ने उनकी परीक्षा के लिये उन दोनों मोतियों को जौहरीयों के लिये दिया और उनसे कहा-जो इस