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________________ लोकाशाहचरिते ____ अर्थ-इस प्रकार पिता के मोहमय ममत्व का विचार करके उसने ऐसा निश्चय किया कि पिता जी जो आदेश देगें उसे मैं पालन करूँगा फिर बादमें जैसा होगा वैसा मैं यथा समय कर लूंगा. // 101 // આ રીતે પિતાના મયુક્ત મમત્વને વિચાર કરીને તેણે એવો નિશ્ચય કર્યો કે–પિતાજી જે આજ્ઞા કરશે તેનું હું પાલન કરીશ. તે પછી એગ્ય સમયે જે કરવા ચોગ્ય હશે તે હું કરીશ. 101 खबान्धवैः सार्धमसीच सम्यग् निश्चित्य वाग्दा विशेश्च वेलाम् / तस्यां चकाराथ सुनिश्चितं तं सुतस्य पोदान्महतोत्सवेन // 102 // अर्थ-हेमचन्द्र ने अपने बन्धुओं के साथ अच्छी तरह से वाग्दान विधि के सगाई के. समय निश्चित किया और निश्चय करके ठीक उसी समय में पुत्र लोकशाह की वाग्दान विधि उत्सव पूर्वक बडे हर्ष के साथ निश्चित करलीस्वीकृत करली. // 102 // હેમચંદ્ર પિતાના બન્ધ વર્ગની સાથે એકત્ર થઈને સારી રીતે વાદાનવિધિ-સગાઈ માટે સમય નક્કી કર્યો. અને નિશ્ચિત કરેલા સમયે પુત્ર લેકશાહની વાગ્દાનવિધિ ઘણી જ હર્ષ પૂર્વક કરી લીધી. ll૧૦રા तत्कालमोदोद्भव गोधघोषै योपिज्जनानां ललितैः सुगीतैः / _ वाद्यास्वैः संकुलिनान्तरङ्ग जातं च तत्कान्तनिशान्तमस्य // 103 // अर्थ-उस समय के हर्ष के वेग से उत्पन्न हुए मनुष्यों के घोषोंसे महिला जनों के ललित गीतों से एवं बाजों की ध्वनियों से हेमचन्द्र का सुन्दर भवन जिसका भीतरी भाग व्याप्त हो रहा है ऐसा हो गया था. // 10 // તે સમયે હર્ષના આવેશથી ઉત્પન્ન થયેલા મનુષ્યના અવાજોથી, સ્ત્રીજના રમણીય ગીતથી અને વાજાઓની વનીથી હેમચંદ્રનું ભવન વાચાલિત બની ગયું. 13 तत्रागतानां फलपुष्पनारिकेलादिभिस्तत्समयानुरूपम् / यथोचितं स्वागतमाननन्द विधाय हैमो हिमचन्द्रतुल्यः // 10 // ___ अर्थ-वाग्दान विधि में आये हुए मनुष्यों का उस समय के अनुरूप स्वागत सत्कार यथा योग्य रीति से करके तुषार एवं चन्द्रमा के जैसा शीतल एवं प्रिय हैमचन्द्र बहुत अधिक प्रसन्न हुए. // 104 //
SR No.004486
Book TitleLonkashah Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1983
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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