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________________ 294 लोकाशाहचरिते अर्थ-वे हेमचन्द्र जैसे तैसे चिन्ता को दूर करके कुमार के हो संव. धन करने में दत्तचित्त हो गये उस बालक के पुण्य के वश से वे जननेता और माननीय जनों में भी मान्य माने जाने लगे. // 27 // એ હેમચંદ્રશેઠે જેમ તેમ કરીને ચિંતા છોડીને કુમારના જ સંવર્ધનમાં ચિત્ત પરોવ્યું. અને તે બાળકના પુણ્ય પ્રતાપે તે માનનીયજમાં માન્ય થવા લાગે. રા बभार दृग्दोषनिषेधयित्रीं रेखां ललाटे सुकुमारकान्तः / स षटपदामस्य च कज्जलस्य मात्रा कृतां चन्द्र वदावदातः // 28 // ___ अर्थ-उस सुकुमार सुन्दर बालक ने कि चन्द्र के समान जिसकी निर्मल कान्ति है अपने ललाट पर दृष्टि दोष को दूर करने के लिये माता के द्वारा की गई भ्रमर के समान अत्यन्त काले कजल की रेखा को धारण किया. // 28 // એ સુકુમાર સુંદર બાળકે કે જેની નિર્મળકાંતી ચંદ્રમાના જેવી છે, પિતાના ભાલ પર દષ્ટિદેષ દૂર કરવા માટે માતાએ કરેલ ભમરાના જેવી અત્યંત કાળા કાજળની રેખા ધારણ કરી. અર૮ प्रातः समुत्थाय स मातुरङ्कात् भून्यस्तपादः पितृपादमूलम् / गत्वा स्ववाण्याऽस्कुटवणेयायत् किञ्चित् प्रवक्तुं खलु चेष्टते स्म // 29 // अर्थ-जब प्रातः काल हो जाता तब वह बालक की गोद से उठकर करडता हआ पिता के पास पहुंच जाता और अपनी अस्फुट वर्णवालो वाणी से जो मनमें आता उसे कहने के लिये चेष्टा करता // 29 // જ્યારે પ્રભાતકાળ થતો ત્યારે આ બાળક માતાના ખોળામાંથી ઉઠીને પિતાની પાસે પહોંચી જતા અને પિતાની અસ્પષ્ટ વાણીથી જેમ મનમાં આવે તેમ કહેવાની ચેષ્ટા કરતો. ર૯ पदैः स्वर्गृिहभूमिभागे गच्छन् पतन् स्वंच दिदृक्षयाऽन्यात् / उपस्थितान हास्ययुतान प्रकुर्वन् सक्रीति स्माथ हसन्नमातैः // 30 // अर्थ-लड खडाते हुए पैरों से जब यह बालक अपने मकान के भूमिभाग पर चलता तो गिर पडता इस बात को लेकर उसे देखने की इच्छा से अन्य बालक वहां उपस्थित हो जाते और इस तरह वे इसे देख 2 कर हंसने लगते उनके साथ 2 यह भी हंसने लगता और पीछे उन्हीं के साथ खेल ने लगता. // 30 //
SR No.004486
Book TitleLonkashah Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilalji Maharaj
PublisherJain Shastroddhar Samiti
Publication Year1983
Total Pages466
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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