________________ ( 2 ) मतभेदों को एकान्त बुरा नहीं कहा जा सकता, और उन पर कुछ विचार चर्चा करना यह तो बुरा हो ही कैसे सकता है ? जहां मिठास के साथ यह कार्य होता है वह उभय पक्ष में अमिनन्दनीय होता है, और आगे चलकर वह मत भेदों को एक सूत्र में पिरोने के लिए भी सहायक सिद्ध होता है / हम आशा करेंगे कि--इस चर्चा में रस लेने वाले उभय पक्ष के मान्य विद्वान् इस नीति का अवश्य अनुसरण करेंगे। (2) श्रीमान् सेठ वर्धमानजी साहब पीतलिया रतलाम से लिखते हैं कि हमने लोकाशाह मत समर्थन पुस्तक देखी, पढ़कर प्र. सन्नता हुई / पुस्तक बहुत उपयोगी है अलबत्ता भाषा में कितनी जगह कठोरता ज्यादे है वो हिंदी अनुवाद में दूर होना चाहिए, जिससे पढ़ने वालों को प्रिय लगे। पुस्तक प्रकाशन में प्रश्नोत्तर का ढंग और प्रमाण युक्ति संगत है। (3) युवकहृदय मुनिराज श्री धनचन्द्रजी महाराज की सम्मति-- श्रापकी लोकाशाह मत समर्थन पुस्तक स्था० समाज के लिए महान् अस्त्र है। जो परिश्रम आपने किया उसके लिए धन्यवाद / ऐसी पुस्तकों की समाज में अत्यन्त आवश्यकता है। आपकी लेखनी सदैव जिनवाणी के प्रचार के लिए तैयार