________________ (52) ६-आवश्यक नियुक्ति, और भरतेश्वर प्रश्न-आवश्यक नियुक्ति में लिखा है कि चक्रवर्ती भरतेश्वर ने अष्टापद पर्वत पर चौवीस तीर्थंकरों के मन्दिर बना कर मूर्ति में स्थापित की इस प्रकार श्रेणिक आदि अन्य श्रावकों ने भी मन्दिर बना कर मूर्ति-पूजा की है इसे आप क्यों नहीं मानते ? क्या इसी कारण से आप 32 सूत्र के सिवाय अन्य सूत्रों और मूल के सिवाय टीका नियुक्ति आदि को नहीं मानते है ? उत्तर-महाशय? क्या श्राप इसी बल पर मूर्ति पूजा को धर्म का अंग और प्रभु आज्ञा युक्त मानते हैं ? क्या आप इसी को प्रमाण कहते हैं ? श्रापका यह प्रमाण ही प्रमाणित करता है कि मूर्ति-पूजा धर्म का अंग और प्रभु श्राज्ञा युक्त को मात्र ही कहते है, वास्तव में तो है पागम प्रमाण का दीवाला ही। ___ हम आप से सानुनय यह पूछते हैं कि आपका और नियुक्तिकार का यह कथन आवश्यक के किस मूल पाठ के