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________________ ... (2) विषय . 22 परोक्ष वन्दन 23 वन्दन आवश्यक और स्थापना .... 24 द्रव्य निक्षेप 25 चतुर्विशंति स्तवन और द्रव्य निक्षेप ..... 26 मरीचि वन्दन .... .... 107 27 सिद्ध हुए तीर्थकर और द्रव्य निक्षेप 28 साधु के शव का बहुमान ... ... 113 26 क्या जिनमूर्ति जिन समान है ? ... 30 समवसरण और मूर्ति ... ... 31 क्या पुष्पों से पूजा-पुष्पों की दया है ? " 32 आवश्यक कृत्य और मूर्ति पूजा ... 133 33 गृहस्थ सम्बन्धी प्रारम्भ और मूर्ति पूजा .. 34 डॉक्टर या खुनी ... ... 130 35 न्यायाधीश या अन्याय प्रवर्तक .... 142 36 क्या 32 मूल सूत्र के बाहर का साहित्य मान्य है ? 146 (अ) धर्मविरुद्ध विधान : श्रा) कथा ग्रंथों के गप्पौड़े (इ) माहात्म्य ग्रन्थ (ई) मूल में मिलावट (उ) मूल के नाम से गप्पं (ऊ) अर्थ का अनर्थ (ऋ) टीका आदि में विपरीतता (ऋ) एक मिथ्या प्रयास 37 मू० पू० प्रमाणों से मू० पू० की अनुपादेयता 176 38 मू० पू० से सामायिक करना श्रेष्ठ है। ... 36 धर्म दया में है हिंसा में नहीं .... ... 40 अन्तिम निवेदन
SR No.004485
Book TitleLonkashahka Sankshipta Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchandra, Ratanlal Doshi
PublisherPunamchandra, Ratanlal Doshi
Publication Year
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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