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________________ हाहू मचाते ही रहते हैं तथा जनता को धोखे में डालकर अपना स्वार्थ साधते हैं। प्यारे न्यायप्रिय महाशयों इन प्रेमियों का ताण्डव बढ़ने न पावे और वास्तविक सत्य क्या है इसको जनता भली प्रकार से जानले, इसी उद्देश्य को सामने रखते हुए श्रीमान् रतनलालजी डोशी सलाना निवासी ने यह पुस्तक 'लोकाशाह मत समर्थन' नामक अापके सामने रक्खी है / इसमें उन कुयुक्तियों का ही वास्तविक रीत्या जवाब दिया गया है, जो कि समाज में भ्रम फैलाने वाली एवं बाह्याडम्बर को महत्व देने वाली हैं / अन्त में शिथिलाचार पोषकों ने कैसी 2 कपोल कल्पित बातें लिखी हैं इसका दिग्दर्शन भी लेखक ने कराया है। इस पुस्तक को लिखकर श्रीमान् डोशीजी ने स्वधर्म रक्षा की है, और सत्यान्वेषी मुमुक्षुओं को सत्य घटना बताकर धर्म प्राण लोकाशाह और समस्त स्थानकवासी समाज की सेवा की है / तथा सत्य सिद्धान्तों के प्रति अपनी अटल श्रद्धा व्यक्त कर मिथ्या प्रलाप को जड़ से उखा. ड़ने की कोशिश की है / एतदर्थ आपको धन्यवाद / इस पुस्तक के लेखन का अभिप्राय किसी के सिद्धान्तों पर आक्रमण करना नहीं है, किन्तु मानव जीवन सत्यमय बने और सत्यमार्ग की गवेषणा कर आराधना करे यही है। अतः पाठकों से निवेदन है कि वे इस पुस्तक को शांत भाव से निष्पक्ष बनकर आद्योपान्त पढ़कर सत्य मार्ग का अवलम्बन करें तथा मिथ्या कुयुक्तियों से अपने को बचाते रहें / इत्यलम् सुक्षेषु किं बटुना? अजमेर शतावधानी. पं० मुनि श्रीरत्नचन्द्रजी महाराज का चरा किंकर तार-८-२६३६ ) मुनि पूनमचन्द्रः
SR No.004485
Book TitleLonkashahka Sankshipta Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunamchandra, Ratanlal Doshi
PublisherPunamchandra, Ratanlal Doshi
Publication Year
Total Pages248
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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