________________ ३३-गृहस्थ सम्बन्धी प्रारंभ मूर्ति-पूजा और प्रश्न-गृहस्थ लोग अपने कार्य के लिये फल, फूल पत्र, अग्नि, पानी आदि का प्रारम्भ करते हैं, गृहस्थ जीव न प्रारम्भ मय जीवन है, इसमें यदि पूजा के लिये थोडासा जल और कुछ फल फूल एक दो दीपक, धूप श्रादि अलपा. रम्भ से प्रभु पूजा कर महान् लाभ उपार्जन किया जाय तो क्या हानि है। उत्तर-आपका उक्त प्रश्न भी विवेक शून्यता का है। समझदार और विवेकवान श्रावक जल, फूलादि कोई भी सचित्त वस्तु आवश्यक्तानुसार ही काम में लेते हैं, प्रा वश्यकता को भी घटाकर थोड़ा प्रारम्भ करने का प्रयत्न करते हैं, आवश्यकता की सीमा में रहकर प्रारम्भ करते हुए भी प्रारम्भ को प्रारम्भ ही मानते हैं और सदैव ऐसे गृहस्थाश्रम सम्बन्धी आवश्यक प्रारम्भ को भी त्यागने क