________________ ( 1) कल्पनानुसार प्रभु हमारे नेत्रों के सम्मुख दिखाई देते हैं,हम अतिशय गुणयुक्त प्रभु के चरणों में अपने को समर्पण कर देते हैं, भक्ति से हमारा मस्तक प्रभु चरणों में झुक जाता है और यह सभी क्रिया भाव निक्षप में है, ऐसे भाव युक्त नाम स्मरण को नाम निक्षेप में गिना और इस प्रोट से मूर्ति पूजा को उपादेय कहना यह स्पष्ट प्रशता है।