________________ (8) श्रीयुत रागवजी परसोत्तमजी दोशी प्राका लोकाशाणोज खुमती हालमां लोकाशाह मत समर्थन नी चोपड़ी छपायेल छे, ते मारा वांचवा थी घणोज खुशी थयो छु, रुपया 2) मोकलुं छं तेनी जेटली प्रतो आवे तेटली गामड़ामां प्रचार करवो छे माटे फायदे थी मोकलशो, श्रा बुक मां सूत्र सिद्धान्त अनुसार घणा सारा दाखला प्राप्या छे ते वांची हुं खुशी थयो र्छ / (8) श्रीयुत जेचन्द अजरामर कोठारी सिविल स्टेशन राजकोट से लिखते हैं कि आपनुं लोकाशाह मत-समर्थन अने मुखवस्त्रिका सिद्धि बन्ने पुस्तक वांच्या, बेत्रण वार अथ इति वांच्या, तेमां सिद्धांतों ना दाखला दलीलो अने विशेष करीने विरोधी पक्ष ना अभिप्रायो जणावी न्याय थी श्रमणोपासक समाजनी पूरे पूरी सेवा बजावी छे तेने माटे रतनलाल डोशी ने अखण्ड धन्यवाद घटे छ, समाजे कोई न कोई रूपमा तेमनी कदर करवी जोइए, श्री डोशी जेवा निडर पुरुष जमानाने अनुसरी पाकवाज जोहए। . (10) श्रीयुत बेचरदासजी गोपाखजी राजकोट से लिखते हैं कि-- लोकाशाह मत समर्थन पुस्तक वांच्यु छ, वांची मने धणोज अानन्द थयो छ, आमां जे काई पुरावा आप्या छ, ते बघा बराबर के, मुखवस्त्रिकासिद्धि छपायुं होय तो जमर मोकलशो। ..