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________________ // अहम् / / पू. पं. श्री पुष्पविजयगणिभ्यो नमः महाकवि माघकृतं // शिशुपालवधम् // // पूर्वार्द्धम् // // 1 // प्रथमः सर्गः॥ ( वंशस्थवृत्तम् ) श्रियः पतिः श्रीमति शासितुं जगज्जगनिवासो वसुदेवसद्मनि / वसन्ददर्शावतरन्तमम्बराद्धिरण्यगर्भाङ्गभुवं मुनि हरि // 1 // गतं तिरश्चीनमनूरुसारथेः प्रसिद्धमूर्ध्वज्वलनं हविर्भुजः / पतत्यधो धाम विसारि सर्वतः / ___किमेतदित्याकुलमीक्षितं जनैः // 2 // चयस्त्विषामित्यवधारितं पुरा ... ततः शरीरीति विभाविताकृतिम् / विभुर्विभक्तावयवं पुमानिति . क्रमादमुं नारद इत्यभोधि सः / / 3 / / नवानधोऽधो बृहतः पयोधरान् . समूढकर्पूरपरागपाण्डुरम् / 20 क्षणं क्षणोत्क्षिप्तगजेन्द्रकृत्तिना स्फुटोपमं भूतिसितेन शम्भुना // 4 //
SR No.004484
Book TitleKavyashatakam Mulam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1991
Total Pages1014
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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