________________ (22) અનેક મંત્રગર્ભિત પરમપ્રભાવી શ્રી પાર્શ્વનાથ સ્તુતિ સંયુક્ત ઉપસર્ગહર સ્તોત્ર...' 1 नवसग्गहरं पासं, पार्स वदामि कम्मघणमुक्कं / विसहरविस निन्नासं, मंगलकल्लाणावासं // 1 // 2 विसहरफुलिंगमंत, कंठे धारेइ जो सया मणुओ। तस्स गहरोगमारी-दुजरा जंति - नवसामं // 2 // 3 चिहउ दूरे मंतो, तुज्झ पणामोऽवि बहुफलो होइ। .. .. नरतिरिएसु वि जीषा, पाति न दुरकदोगचं // 3 // * अमरतरु कामधेणु-चिंतामणि कामकुंजमाईएं। . सिरि पासनाह सेवा-गहाणं सव्वेऽवि दासत्तं // 4 // * हो श्री एँ / ( नमो ) तुह देसणेण सामिय, पणासइ रोगसोग दुरक दोहगं / " कप्पतरुमिव जायइ, तुह दंसणेण सम्मफलहेन स्वाहा // 5 // में ही नमिक्रण विपणासय, मायांबीएण धरणनागिर्द / सिरिकामराजकलियं, पासजिर्णिदं नमसामि // 6 // * ही श्री पास विसहर विजा-मंतेण झाणझाऐव्यो / ' धरण पोमावइ देवों, ही लवयु स्वाहा // 7 // जयन धरणदेव, पढम हुँची नागणी विजा / विमलज्माणसहिओ, , ही म्लवयु स्वाहा // 8 // है थुणामि पास, , ही पणमामि परमन्नत्तीए / अवरकर धरणेदो, पोमावइ पयडियो कित्ती // 9 // . 1 या: 2 ग्गाणं. 3 साय. 4 जिणदं. 5 -यव्यो, ६-झंति. 5 .य..