________________ ( 73 ) RAHAMARIKARARIANRAIायायायायाशाशााााााााााश 'सुशीलनाममाला' पुस्तकना मुद्रित फरमानो जोतां (1) देवाधिदेव विभाग (2) देव विभाग (3) मर्त्यविभाग (4) तिर्यग् विभाग (5) नारक विभाग अने (6) सामान्य विभाग, ए छ विभागमा विभाजीत करेल प्रा नाममालानु पुस्तक संस्कृत साहित्यना पठन-पाठनमां अभ्यासीनोने खूबज उपयोगी नीवडशे। वधुमां प्रा पुस्तकमां दर्शित 'अ' कारादि अनुक्रमथी दरेकनी शब्दनी माहीती तेना पर्यायवाचक नामो साथे सुलभताथी प्राप्त करी शकशे। पा पुस्तकना रचयिता परमशासनप्रभावक पूज्यपाद आचार्य भगवन्तः श्रीमविजयसुशीलसूरीश्वरजी महाराज साहेब आगम-न्याय-व्याकरण आदि साहित्यना प्रकांड अभ्यासी उपरांत ते प्रोश्रीनो विचार, वाणी अने वत्तंन स्वरुप जीवन व्यवहार अहिंसा-संयम अने तपथी अलकृत छ। पूज्यश्रीए स्वयं करेल या पुस्तकना समस्त श्लोकोना सर्जन उपरथी ज, तेयोश्रीना संस्कृत भाषा उपरना काबुनो आपणने ख्याल पेदा थइ शके छ / तेपोश्री छल्ला केटलाक वर्षोथी राजस्थानमा ज विचरीत्र र रही अनेक स्थले शासन प्रभावनानां कार्यो करी रह्या छ /