________________ राष्ट्रीय चेतना में नैतिक एवं चारित्रिक विकासको अत्यन्त आवश्यकता है। इस प्रकार की रचनाएँ भगवान महावीर के उपदेशों एवं सिद्धान्तों को जीवन में प्राचरण शुद्धि का क्रियात्मक कायाकल्प कराती है। __आज के परिवर्तित परिवेश में एवं राष्ट्रीय धारा के बदलते हुए स्वरुप में यह ग्रन्थ मानव मात्र के लिये भद्रंकर होगा तथा इस प्रकार के अन्य ग्रन्थों की रचनाएँ विश्व कल्याण की भावना को बढाने में आशीर्वाद स्वरुप होगी। ज्योतिष सदन / पं० हीरालाल शास्त्री एम० ए० ऋषि पंचमी गुरुवार ! संस्कृताध्यापक (भाद्रपद शु०) शासकीय विद्यालय विक्रम सं० 2035 दिनाङ्क 7-6-78 :) माण्डवला (जालोर) . . / TLE ला NDAL