________________ [ 68 ] 999999999999955555555555 ॐ सूरीश्वरजी महराज अने प० पू० प्रा० श्रीमद्विजय सुशील- सूरीश्वरजी महाराजनी बांधव बेलडीए पोताना गुरुना पगले 卐 चाली गुरुनी प्रतिभाने जीवंत राखी अनेकविध प्राचीन साहित्यने पल्लवित करेल छ / प० पू० प्रा० श्रीमद्विजयपुशीलसूरीश्वरजी महाराजे पोजाना प्रगुरु प्राचार्यदेव श्रीमद्विजय लावण्य सूरीश्वर महाराजना मरुस्थलमा स्वर्गवास बाद, तेमणे तेमनो विहार राजस्थानमां ज राख्यो छे / अने त्यां रही अवार नवार विशिष्ट ग्रंथो संपादन करता याव्या छे। या " सुशीलनाम माला" ग्रंथनी रचना पण तेमणे राजस्थानना मरुधर देशमा : प्रावेल पाली शहेर मां वि० सं० 2027 नी सालमां चातुर्मास / रही पूर्णाहुति पूर्वक करी छ। ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ ॐॐॐ संस्कृत साहित्यमां ग्रंथनी रचना करवी ते साहित्यना प्रकाण्ड विद्वत्ता विना संभवी शके नहिं / प्रा ग्रन्थ तेमणे अनुष्टुप् 2 छन्दमां रच्यो छे, अने तेना छः विभाग राख्या छ / पहेलो देवाधिदेवविभाग, बीजो देवविभाग, त्रीजो मय॑विभाग, चोथो ॐ तिर्यग् विभाग, पांचमो नारक विभाग अने छट्टो सामान्यविभाग. 2 छेल्ले एकाक्षर कोशमाला अने अन्ते सुशीलनानमालाना छः ॐ विभागमा प्रापेला शब्दोनो अकारादि अनुक्रम प्रापेल छे / / 55999999999999999999