________________ [ 65 ] RRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRRR प्रादि अनेकों पावन पवित्र एवं प्रशंसनीय कार्य करवाये हैं। प्राप जैन धर्म के सिद्धान्तोंनुसार एक सच्चे अर्थ में साधु है। प्राप में यथा नाम तथा गुण की कहावत चरितार्थ होती है। प्रापका संपूर्ण साधु जीवन त्याग-तपस्या, व ज्ञानध्यान से प्रोतप्रोत है। प्राप जैसे उत्कृष्ट कोटि के सुसाधुओं का राजस्थान में विचरण जैनधर्म व समाज के लिये महान् उपकारी रहा है। मेरा विश्वास है कि-विद्वान् लेखक द्वारा प्रकाशित ‘सुशीलनाममाला' जैन दर्शन में संस्कृत भाषा के प्रन्थों का अध्ययन करने वाले प्रत्येक पाठक के लिये एक महत्त्वपूर्ण संदर्भ ग्रन्थ के रूप में उपयोगी प्रमाणित होगी। अंत में, मैं शासनदेव से लेखक के दीर्वजोवन की शुभ कामना करता हूँ ताकि जैन शासन का यह देदिप्यमान सूय अपने प्रकाश द्वारा जन जगत् को प्रकाशित करता रहे। - गांधी जयन्ति दिनाङ्कः प्रोफेसर अमृतलाल गाँधी . सिरोही. वाले (जोधपुर विश्वविद्यालय जोधपुर) अध्यक्ष श्री भैरूबाग पार्श्वनाथ जैन तीर्थ, जोधपुर (राजस्थान) .. 2-10-76