________________ [ 61 ] 9454555555 555555 अभिधान चिंतामणि कोश' जेवा सर्वमान्य अने विद्वभोग्य ग्रंथना प्रालंबनथी पोतानी आगवी रीतिए, ॐ सरल संस्कृत भाषामां, अने रोचक शैलिमा 'सुशीलनाम माला' नामना सुंदर कोशनी रचना करी, संस्कृत भाषी साहित्यकारो, विद्वानों ने अभ्यासकों ने चरणे धरी रह्या छ, जे म्हें बारीकाइथी ने रसपूर्वक जोयो-वांच्यो छे अने म्हने खात्री थइ छ के, प्रस्तुत 'कोश' विद्वानों ने वांचकोने घणो ज उपयोगी निवडशे अने सर्वत्र पाव-कार्य बनी रहेशे. प्रावो प्रमाणित ने प्रशस्त ग्रंथ रसमय ने काव्य मय // शलिमां श्रीचतुर्विध संघने चरणे धरी, पूज्य श्रीए जैन समाज उपर महान उपकार कर्यों छ; जे वर्षों सुधी चिरस्मरणीय बनी रहेशे. . ए माटे पू० प्राचार्यदेव.धन्यवाद ने पात्र छे. पापणी पासे जैन आगमो अने शाखोनो विपुल ने विशाल भंडार भर्यो छे, तेमाथी लेखक प्राचार्य श्री विद्वभोग्य ने संघोपयोगी शास्त्र-ग्रंथों चूंटी काढी, 'सुशीलनाममाला' नी जेम सरल, सरस ने रुचिकर शैलिमा अनुवादित के संग्रहित करी प्रकाशित करे एवी श्रीसंघनी अपेक्षा प्रस्थाने नहि गणाय एम मार्नु छु 5454545454545454545454545457451451461454554564574594595