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________________ [ 60 ] , अभिप्राय sacsssssssss साहित्यरत्न, कविभूषण, शाखविशारद पू० प्राचार्य देव श्रीविजयसुशीलसूरीश्वरजी म० श्री ताजेतरमा कलिकाल सर्वज्ञ पूज्य आचार्य भगवत श्रोहेमचन्द्रसूरीश्वरजी म. रचित 'श्रीअभिधानचिन्तामणि' ने अवलं-अनुलक्षी, सरल भाषामां अने रोचक शैलिमा 2848 श्लोक प्रमाण 'सुशीलनाममाला' नामनो एक नूतन संस्कृत कोश रची प्रकाशित रही रह्या छे. पूज्य आचार्यश्रीना निकट सत्संगथी अने भाव वाही उपदेशथी तेनोश्री एक विशिष्ट विद्वान्, प्रखर शाखाभ्यासी, सिद्धहस्त लेखक अने प्रभावक वक्ता छ एतो जाणुंज छु. तेश्रोश्रीए आज पर्यंत न्हाना-म्होटा पुस्तकों-ग्रंथो रची बहोळा प्रमाणमा साहित्य-सर्जन कर्य छे. जे सरल, रसप्रद अने मननीय होइ, सुंदर ने उष्माभर्यो आवकार पामेल छे. परन्तु प्राजे हुँ विशेष प्रभावित तो ए कारणे थयो के
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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