________________ [ 38 ] ‘सुशीलनाम माला' नामनी प्रा शब्दकोश अभ्यासोप्रो ने अनेक रीते उपयोगी थइ पडे तेम छे. दरेक नूतन शब्द श्लोकादिनी शरातमां पावतो होवाथी कंटस्थ करनारामोने घणी सरलता की प्रापे छे तथा शब्दार्थ समजवामां पण घणो सुगम थइ पडे तेवो छे. प्रा शब्दकोष तैयार करवामां प्राचार्य श्रीमुशीलसूरि महाराजे लीधेल सख्त परिश्रम गीर्वाण गिराना अभ्यासोप्रोने पाशिर्वाद रप निवडवा संभव छे. अभ्यान को तेनो लाभ उठावी श्रुतज्ञाननी वृद्धि करी स्वपर श्रेयने साधो एज एक है शुभाभिलाषा. [प० पू० प्रा० श्रीमद्विजयरामचन्द्र सूरीश्वरजी म. मा. ना शिष्यरत्न पू० श्रीभद्रं करविजयजी गणिवर्य म. श्रीनो या अभिप्राय छे. ] सं० 2033 चैत्र वदि 10 बामणवाडजी तीर्थ ( राजस्थान) भद्रक र विजय स - -