________________ ( 20 ) WWERSOWEAT) S ATH पर एक बात तो निश्चित रूप से प्रत्येक ममझदार व सामान्य बुद्धिवाला भी अबव्य मानेगा कि-मृजन के पीछे का / मृजक का परिश्रम अवश्य ही सराहनीय-व अनुमोदनीय राब आदर्श है। . साथ 2 अपन प्राशा भी करेंगे कि:-सदायुवान-गदाबहार संस्कृत व प्राकृत भाषा के साहित्य को प्रस्तुत कोशकार पूज्य प्राचार्य श्री नव्य स्वसृजनावं अनुपलब्ध व उपयोगी प्राच्य पुनः प्रकाशन द्वारा संस्कृत-प्राकृत के साहित्य में अपना महत्वपूर्ण प्रदान करके देव भाषा साहित्य को समृद्ध करेंगे। हम शासनदेव से प्रार्थना करेंगे कि :-हमारी अपेक्षित साहित्य सृजन को पाशा को नवपल्लवित व सफल करने हेतु कोशकार को बलप्रदान करें-सहयोग दे यह ही हमारी मनो कामना है। वोर सं० 2502, वि. सं० / गामन सम्राट्-साहित्य सम्राट परम पूज्य 2032 नेमि स० 27 प्रा० श्री नेमिलावण्य चरण रज कात्तिक कृष्णा 5 मनोहरविजय गणिः / स बुधवार दिनांक 13-10-76 जैन उपाश्रय श्री संभव जिन केवल जान श्री नाडुलाइ तीर्थ कल्याणक दिन [ राजस्थान ]