________________ __ यों कहना नितान्त सत्य है कि:- विशाल भावों को अल्प शब्दों में व्यक्त करनेका एक मात्र भाषा माध्यम हो तो वह है-संस्कृत। भारतीय संस्कृति की अस्मिता-प्रतिभा व प्रोजस्विता जितनी संस्कृत-प्राकृत भाषा में निखरती है शायद ही उतनी और किसी भाषा में निखरती हो। इतिहास के कलेबर को प्राणवान् रखने वाली भाषा हो तो वह भी संस्कृत व प्राकृत है। संस्कृत भाषाको देव भाषा कहते है इसे सभी सुज्ञ जानते ही हैं। परमपूजनीय पंचमांग श्री व्याख्या प्रज्ञप्तिभगवतीजी सूत्रमें कहा है कि-देवलोकवासी देव मागधी (प्राकृत) भाषा में बोलते है-उनको भाषाको व्यवहार पद्धति है प्राकृत भाषा। यों संस्कृत व प्राकृत भाषाएं युगारंभ से लेकर आज तक अपने महत्वको सम्हालती व सुदृढ करती आई है। युग चलेंगे तब तक यह भी चलेगी। अतः समय 2 के विद्वानोंने हमेशा इस भाषामें लिखा व इस भाषा को संपन्न बनाया। समय 2 के विद्वानोंने समय 2 पर उत्पन्न होनेवाले शब्दों को भी समय 2 पर उन शब्दों र का संग्रह करके उन्हें अक्षय व अमर बनाया।