________________ ( 11 ) प्रापश्रीनो विद्वत्ता, साहित्य सेवा अने प्रात्मीयता अजोड छे. तेनी हुँ मूरि भूरि अनुमोदना करु छु अने इच्छु छु के प्रापश्रीए बनावेलो प्रा सुशीलनाममाला' नामनो ग्रंथ संस्कृतना जाणकार सर्वने उपयोगी थाय एवी शुभ कामना। सिरोही दिनांक 22-10-76 उपाध्याय चन्दनविजयगणि श्रीहीरसूरीश्वरजी जनउपाश्रय .