________________ ( 10 ) ** “व्याकरणना अभ्यासी जीवोने माटे कलिकाल सर्वज्ञ पू० प्राचार्य भगवन्त श्री हेमचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजे "श्रीअभिधानचिन्तामणी" कोषनु सुंदर सर्जन कयु. तेनुपालंबन लइ सरलरीते समजी शकाय तेवो रोते केटलाक प्रकाशनो थया छ। . आ “सुशीलनाममाला" कोष पण अभ्यासमां रो घणो सारो सहकार प्रापे तेवो सुदर ग्रंथ छे. पू० प्रा० श्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरजी म० श्री ए * *** ** आ ग्रन्थने तैयार करवामां घणी काळजी राखी छे. विद्वानोने तथा संस्कृतना अभ्यासी जीवो ने 'पा ग्रन्थ खरेखर स उपयोगी थशे. ज्ञानभंडारोए वसाववा जेवो छ / " ** * वोंछीमा तारीख 4-10-76 | विजयनीतिप्रभसूरि जनउपाश्रय ***** 卐 卐 卐