________________ 20 सुशीलनाममालायां ज्योस्त्नी' तु पूणिमारात्रि स्तमिस्रा' दर्शयामिनी / निशासमूह बोधार्थे, गणरात्रो' निशागण: 2 // 133 // पक्षिणी' पक्षतुल्याभ्या-महोम्यां वेष्टिता क्षपा। ज्ञातव्या रजनीद्वन्द्वं', गर्भकं तु निशामुखम् ' // 134 // दिनात्ययः२ प्रदोष श्च, याम' स्तु प्रहर स्तथा। निशीथ' स्त्वर्धरात्रश्चं, निःसंपातो महानिशा // 135 // उच्चन्द्र' स्त्वपररात्र-स्त्वन्धकारं रजोबलम् / तमिन तिमिरं ध्वान्तं , तथा ऽन्धतमसं तमः // 136 // नीलपङ्को निशावर्म,'", दिनाण्डं 2 दिनकेसरः / सन्तमसं४ तथा वृत्रो,१५ ऽवतमसं दिगम्बरः // 137 // वियद्भूति 8 श्च भूच्छाया'६, रात्रिरागः२० स्मृतो बुधैः / तुल्यनक्तं दिवंकाले, विषुवद्' विषुवं' च यत् // 138 // पञ्चदशदिनानाञ्च , पक्षः स बहुलो ऽसितः / कृष्णो निशाह्वयः ख्यातः, शुक्लो दिशाह्वय स्तथा // 136 // तिथि' स्तु कर्मवाटी स्यात् , पक्षतिः' प्रतिपत् तथा। पञ्चदश्यो' यज्ञकालौर, पक्षान्तौ चापि पर्वणी // 140 // भूतेष्टापञ्चदश्यो यंद, पर्वमूलं' तदन्तरम् / प्रतिपत् पर्वसन्धिः स पञ्चदश्यो र्यदन्तरम् // 141 // पूर्णिमा' पौर्णमासी' स्यात्, राका' पूणे क्षपाकरे / कलाहीने त्वनुमति', मार्गशीर्ष्या' ऽऽग्रहायणी // 142 //