________________ 458 सुशीलनाममालाया अस्ति' सत्त्वे तथा दुष्ठु', निन्दने हि निगद्यते। .. स्यान् ननुच' विरोधोक्तौ, पक्षान्तरे तु चेद्' यदि // 2807 // शनै' मन्दे ऽवरे त्वक् कथ्यते कोविद स्तथा / रोषोक्ता' पुनः प्रोक्तं, नतो नमश्च मन्यते // 2808 // प्राध्वं' स्यादनुकूले ऽर्थे, चित्' चन किश्चिदर्थकम् / पद्यानां पूरणार्थे स्यात्, तु' हि च स्म ह वै सदा // 2806 // 'अति' सुरे शोभने वाच्यं, तुल्यार्थे च यथा' तया / वद् वा एव' एवं चापि, सदृशाथस्य ज्ञापने // 2810 // निश्चयार्थे पुन' रिति, एव' एवं तु वा च वै। प्रहो' ही विस्मयार्थे स्याम्' च प्रश्नार्थवाचकः // 2811 // प्राक्' शब्दो पूर्वकाले स्यान्, निश्चये ऽद्धा' ऽसञ्जा' पुनः / प्रतो' ऽस्मात स्यात तत' स्तस्माद, महः' प्रारम्भवाचकः // 2812 // स्वय'-मात्मनि जानीयात् प्रशंसार्थे हि सुष्ठु' इति / श्व:' कल्ये कथ्यते लोके. परश्वः तत्परे ऽहनि // 2813 // अस्मिन् दिने ऽद्य' शब्दः स्यात्, पूर्वेयुः पूर्ववासरे। अागामिनि दिने शब्द उत्तरेछु' श्च कथ्यते // 2814 // . द्वितीयदिवसे श्व: परेद्यु' मन्यते बुधैः। .. गते दिने ऽपरेयुः' स्यादऽन्येधु' स्त्वन्यवासरे // 2815 //