SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 44
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ग्रन्थकार का परिचय प्रापश्री के वरद हस्ते श्रीमूछाला महावीर तीर्थ में, श्रीकापरडाजी तोर्थ में,श्री जैसलमेर तीर्थ में, गुजरात के पाटण शहर में भी प्रतिष्ठा परम शासनप्रभावनापूर्वक हुई है। तदुपरांत जोधपुर, उदयपुर, पाली, सिरोही, सादड़ी, रानी स्टेशन, खीमेल, खुडाला, नांदणा, धरणी, शिवगंज, जावाल, अनदोर, मनोरा, गूडा-बालोतान्, लकडवास, गुडली, बडी रुपाहेली आदि क्षेत्रों में भी परमशासनप्रभावना पूर्वक प्रतिष्ठाएँ खीमेल में और बिलाड़ा में, श्रीब्राह्मणवाडजी तोर्थ में और खौड़ गांव में तथा रानीगांव में भी अञ्जननलाका तथा प्रतिष्ठा अनुपम शासन-प्रभावना पूर्वक हुई हैं। प्रापश्री की शुभ निश्रा में 1. खौड़ से पैदल संघ श्रीकापरडाजीतीर्थ का और श्रीराणक पुरजी की पञ्चतीर्थी का निकला है। * 2. बिजोवा से पैदल संघ श्रीराणकपुरजी पञ्चतीर्थी का निकला है। 3. खीमेल से पैदल संघ श्रीराणकपुरजी पञ्चतीर्थी का निकला है। 4. सिरोही से पैदल संघ श्रीपाबूजीतीर्थ का निकला है। 5. पाली से पैदल संघ श्रीकापरड़ाजीतीर्थ का निकला है। 6. पीपाड़ से पैदल संघ श्रीफलवृद्धिपार्श्वनाथजी तीर्थ का - निकला है।
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy