________________ श] सुशीलनाममालायां और पाँचम (बसन्त पञ्चमी) के दिन प्राचार्य पदवी पूज्यपाद ' प्राचार्यप्रवर श्रीमद्विजयदजीसूरीश्वरजी म. सा. के वरदहस्ते राजस्थानान्तर्गत मरुधर देश में आये हुए श्रीराणकरजी तीर्थ तथा श्रीवरकाणाजो तीर्थ समीपवर्ती मुण्डारा गाँव में अभूतपूर्व शासन प्रभावना पूर्वक 61 घोडके उद्यापनादि महामहोत्सव युक्त हुई थी। उसी प्रसंग पर आपश्री प्राचार्य पदवी के साथ साथ 'शास्त्र विशारद' 'साहित्य रत्न' और 'कविभूषण' इन तीन पदों से भी समलङ्कृत किये थे। प्रापश्री ने __ जैन धर्म के विद्यमान 45 आगम के योगोद्धहन विधिपूर्वक किये हैं। श्रीवीशस्थानक तप की और श्री नवपदजी महाराज की अोली की भी प्राराधना विधिपूर्वक की है। श्रीर्वद्धमानतप की 36 मी अोली की आराधना हो गई है। तीर्थाधिराज श्रीसिद्धगिरिजी महातीर्थ की विधिपूर्वक 66 यात्रा और चोवीहारा छट्ठ कर के दो दिन में सात यात्रा भी कर ली है। तदुपरान्त सूरिमन्त्र के पञ्चप्रस्थान की विधिपूर्वक पंञ्चअोली युक्त सम्यग् आराधना की है। आपश्री का प्रतिदिन 108 बार सूरिमन्त्र का अखण्ड जाप अद्यावधि चालू है / नित्य प्रात्मरक्षा नवकार मन्त्र, सात स्मरण, जिन पञ्जरस्तोत्र, ग्रहशान्तिस्तोत्र. श्रीपार्श्वनाथ मन्त्राधिराजस्तोत्र, श्रोऋषिमण्डलस्तोत्र, श्रीतत्वार्थाधिगम सूत्र, शत्रुञ्जयलघुकल्प और श्रीगौतमाष्टक आदि का स्वाध्याय भी अद्यावधि चाल है।