SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ग्रन्थकार का परिचय [ व जी म. सा. के वरदहस्ते मेवाड़ के पाटनगर उदयपुर में पिताजी की सम्मति और विद्यमानता में महामहोत्सव पूर्वक हुई थी। प्रापश्री की बड़ी दीक्षा वि० सं० 1988 महा शुद पांचम ( वसन्त पञ्चमी ) के दिन शासनसम्राट् प० पू० प्रा० श्रीमद्विजयनेमिसूरीश्वरजी म० सा० के वरदहस्ते, महागुजरात में आया हुआ श्रीसेरीसा तीर्थ में नूतन जिनमन्दिर में प्राचीन मूलनायक श्रीसेरीसा पार्श्वनाथ प्रभु के प्रवेश प्रसंग पर चलता हुआ श्रीबृहद्नन्द्यावतपूजन युक्त महामहोत्सव में हुई थी। प्रापश्री की गणिपदवी _ वि० सं० 2007 कात्तिक (मगसर) वद छठ के दिन साहित्यसम्राट् प० पू० प्रा० श्रीमद्विजयलावण्यसूरीश्वरजी म. सा. के वरदहस्ते, सौराष्ट्र में आया हुआ वेरावल बन्दरगाह में आप श्री के गुरुवर्य पूज्य मुनिप्रवर श्रीदक्षविजयजी म. सा. के साथ में सोलह दिन के महामहोत्सव पूर्वक हुई थी। प्रापश्री को पंन्यास पंदवी वि० सं० 2007 वैशाख शुद त्रीज (अक्षय तृतीया) के दिन .. स्व० शासनसम्राट समुदाय के पाठ पूज्यपाद प्राचार्य महा राजादि विशाल साधू समुदाय, साध्वी समुदाय: और श्रावक श्राविकादि जैन-जैनेतर जनता के समक्ष, स्व समुदाय के 15 गणिवरों के साथ राजनगर, अहमदाबाद में महामहोत्सव पूर्वक हुई थी। प्रापश्री की उपाध्याय और आचार्य पदवी वि० सं० 2021 महा शुद त्रीज के दिन उपाध्याय पदवी
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy